Monday 11 July 2016

शान्ताकारं भुजंगशयनम पद्मनाभं सुरेशं - लोकार्थ

Shantakarn Bhujngsynm Pdmnabn Sureshan - विष्णु स्तुति 

शान्ताकारं भुजंगशयनम पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम।।
लक्ष्मी कांतम कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं ।
वंदे विष्णुं भव भय हरम सर्वलोकैकनाथम ।। 


भगवान विष्णु शांत स्वरुप के हैं, सर्प के शय्या पर सो रहे हैं, उनके नाभि पर कमल है और कमल पर ब्रह्मा जी विराजते हैं, समस्त विश्व के मूल हैं, आकाश के सामान सीमाहीन उनका विस्तृत स्वरुप है तथा मेघ के रंग के सामान सुन्दर अंगों वाले हैं। ऐसे लक्ष्मी पति कमल के समान नेत्रों  वाले जो योगी यतियों के ध्यान में भी बहुत परिश्रम से आते है, मैं समस्त संसार के एकाधिपति भगवान विष्णु को नमस्कार करता हूँ जो संसार के भय को हरने वाले हैं।  

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