Sunday 10 July 2016

सुमुखश्चैव एकदन्तः च कपिलो गजकर्णकः - श्लोकार्थ

Twelve Name of Lord Ganesha

श्री गणेशाय नमः
सुमुखश्चैव एकदन्तः च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्न नाशो विनायकः।।
धूम्रकेतु गणाध्यक्षो भाल चन्दो गजाननः।
द्वादसै तानी नामानि यः पठेत श्रुणुयादपि।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्राम संकटे चैव विघ्नस्तश्य न जायते।।  

जिनके सुन्दर मुख है, एक दन्त है, जो गौर वर्ण के है तथा जो हाथी के कान वाले हैं। ऐसे लम्बोदर भगवन गणेश जो विघ्न का विनाश करने वाले विनायक गणेश हैं। धूम्रकेतु हैं ,  गणों के अध्यक्ष है देव सभा के अध्यक्ष हैं, जिनके सिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं और जो हाथी के मुंह वाले हैं ऐसे भगवान गणेश के इन बारह नामों को जो  पढता  और स्मरण करता है उसके सारे संकट कट जाते हैं। बिद्यारभ के समय, विवाह में, गृह प्रवेश में, यात्रा में युद्ध में या किसी संकट में जो कोई गणपति के इन बारह नमो का स्मरण करता है उसके सारे विघ्नों का नास हो जाता है।

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